शनिवार, 7 जनवरी 2012

सरदी आयी सरदी आयी ...... (बालकविता)


कुहरे में ठिठुरती भोर चिल्लाई
सरदी आयी सरदी आयी 
बदला मौसम बदली चाल 
सरदी ने किया बुरा हाल !

रजनी चाची देर तक सोई 
सूरज चाचा देर से जागा 
बहकी लहकी बोले पुरवाई 
सरदी आयी सरदी आयी !

खिली कलियाँ पंछी चहके 
मचल-मचल जंगल महके 
थरथर-थरथर देह कांपे
बंद करो सब खिड़की दरवाजे !

दुबक के दुशाले में दादी बोली 
कैसे गजब की सरदी आयी 
सिमट के बिस्तर में पापा बोले 
जल्दी लाओ गर्म चाय की प्याली !

ठंडी-ठंडी सर्द हवायें
मम्मी जगाये सुबह-सवेरे 
बजी घंटी आठ बजे 
स्कूल को देर हो न पाये !

12 टिप्‍पणियां:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

सर्दी तो अब गुज़रने को है। अच्छी कविता॥

रश्मि प्रभा... ने कहा…

दुबक के दुशाले में दादी बोली
कैसे गजब की सरदी आयी
सिमट के बिस्तर में पापा बोले
जल्दी लाओ गर्म चाय की प्याली !
lekin main kaise baahar niklun , mere liye bhi sardi aai

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

कुमार राधारमण ने कहा…

मौसम का बदलाव मानो संकेत है जीवन के उतार-चढ़ाव और उनके बीच सामंजस्य बनाए रखने का।

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत पसन्द आया
हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद

Asha Joglekar ने कहा…

सरदी का सही सही वर्णन । बहुत प्यारा सा ।

मनोज कुमार ने कहा…

oh! jare ka dard fir se badh gaya hai. hamane to koolakata me garmee kee aahat sun kar chain ke banshee baja rahe the.

विभूति" ने कहा…

बहुत ही खुबसूरत....

Sunil Kumar ने कहा…

रजनी चाची देर तक सोई
सूरज चाचा देर से जागा
बहकी लहकी बोले पुरवाई
सरदी आयी सरदी आयी !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

Aruna Kapoor ने कहा…

सरदी के बारे में बच्चों की सोच की सुन्दर अभिव्यक्ति!...धन्यवाद सुमन जी!

Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना

vidya ने कहा…

बहुत बढ़िया...
बचपन की हिंदी पाठ्यपुस्तक याद आ गयी :-)