आज न चलेगा
तुम्हारा
कोई बहाना
जैसे भी हो
आओ छतपर
देखो
शरद चांदनी खिली है
रात है नशीली
चांदनी
आज मन भी
है नशीला
तुमसे कहने को
बात है
कुछ ख़ास
तनिक बैठो
पास !
कुछ कह लेने दो
कुछ सुन लेने दो
धडकनों को
आपस की बात
आओ
चांदनी ओढ़े
बिछाए चांदनी
हम तुम
आकंठ पिये
अंजुली भर-भर कर
मुहब्बत की चांदनी
खिली है !
तुम्हारा
कोई बहाना
जैसे भी हो
आओ छतपर
देखो
शरद चांदनी खिली है
रात है नशीली
चांदनी
आज मन भी
है नशीला
तुमसे कहने को
बात है
कुछ ख़ास
तनिक बैठो
पास !
कुछ कह लेने दो
कुछ सुन लेने दो
धडकनों को
आपस की बात
आओ
चांदनी ओढ़े
बिछाए चांदनी
हम तुम
आकंठ पिये
अंजुली भर-भर कर
मुहब्बत की चांदनी
खिली है !