आजादी प्रत्येक मनुष्य का स्वाभाविक गुण है! छोटेसे छोटा बच्चा भी अपने ऊपर किसी का नियंत्रण नहीं स्वीकारता ! हर बच्चे को अपनी पसंद का खाने, खेलने, पढने, टी.वी. पर मनपसंद प्रोग्राम देखने, यहाँ तक कि अपने मन मुताबिक सोचने का अधिकार और आजादी होनी चाहिए !
माता-पिता घर में एक प्रकार का अनुशासन बना देते है, नियम, कायदे-कानून बना देते है ! जो वे कहते है,वही करो ! जहाँ वे चलाएं,वही चलो ! जो वे बताएं,वही देखो ! हर पल माता-पिता के इशारे पर चलना बच्चों को अच्छा नहीं लगता !उनको ऐसा लगता है जैसे हमारा अपना कोई वजूद ही नहीं है ! इस प्रकार के अनुशासन से बच्चों के अहंकार को चोट पहुँचती है ! और सारा अनुशासन, सारी व्यवस्था बोझ-सी लगने लगती है! आगे चलकर इसी व्यवस्था के विरोध में वे खड़े हो जाते है ! नतीजा यह होता है कि बच्चे चिडचिडे, जिद्दी बन जाते है और अपने माता-पिता कि आज्ञा का उल्लंघन करने में भी नहीं हिचकते ! उनको लगता है कि हमारी भावनाओं को दबाया जा रहा है ! हमें किसी भी बात कि आजादी नहीं है ! घर उन्हें कारागृह के समान लगने लगता है !
मुझे लगता है माता-पिता और बच्चों के बीच थोडीसी समझदारी हो ! माता-पिता अपने बच्चों कि भावनाओं क़ी कद्र करे ! उनके मनोभाओं को समझे ! डांटने क़ी बजाय प्यार से समझायें कि उनके लिये क्या अच्छा है और क्या बुरा है? क्योंकि बच्चे मानसिक रूप से अपरिपक्व होते है ! उनको अगर आप लॉजिकली समझायेंगे, तो वे जरुर समझ जायेंगे ! टी.वी. पर आजकल "कार्टून नेटवर्क" के जरिए बहुत सी ज्ञानवर्धक बाते सिखाई जाती है ! स्कूल से आते ही थोड़ी देर टी.वी. देखने में कोई बुराई नहीं है ! थोडा-बहुत मनोरंजन मन को हल्का और प्रसन्न बना देता है ! दिन भर क़ी सारी थकान दूर हो जाती है !
सबको आजादी से रहना पसंद है पर इसका यह मतलब नहीं है कि बच्चे बेलगाम हो जाएं और आजादी का दुरूपयोग करे ! थोडा तो अनुशासन जीवन में होना बहुत जरुरी है ! वरना जीवन में कामयाबी कैसे हासिल होगी भला ? हर माता-पिता क़ी यही इच्छा होती है क़ी अपने बच्चों को अच्छा इंसान बनायें ! इसके लिये वे कितनी ही कठिनाइयों का सामना करते है ! बच्चों को भी चाहिए अपने माता-पिता क़ी भावनाओं को समझे ! उनके सपनों को साकार करे, ताकि समाज में उनके माता-पिता का नाम हर कोई आदर से ले सके !
अत: मेरा निवेदन यही है कि माता-पिता अपने बच्चों से हिटलर कि तरह नही, एक दोस्त कि तरह पेश आएं ! ताकि वे आपके सारे सपनों को साकार कर सके ! यही आजादी जीवन में व्यक्ति के, चरित्र को बनाने और बिगाड़ने का कारण बन सकती है !