एक दिन एक चिड़िया ने
आकाश में मंडराते-मंडराते
दूर चमकते शुभ्र बादल को देखा
और मन ही मन सोचा क़ि,
क्यों न मै उड़कर
उस शुभ्र बादल को छू लूँ
उसने बादल को छूने का
लक्ष्य बनाया
पूरी ताकत से उस दिशा में
उड़ने लगी चिड़िया
किन्तु चमकता शुभ्र बादल
एक जगह स्थिर नहीं
रह पाता
कभी पूरब तो कभी पश्चिम
दिशा में चला जाता
और कभी गोल-गोल
चक्कर लगाता
अथक प्रयासों के बाद
जब चिड़िया बादल तक
पहुँच पायी, अचानक
बादल छंटने लगा
चिड़िया क़ी पहुँच से
ओझल हो गया
यह देख कर चिड़िया ने
कहा .....
मै भी कितनी पागल हूँ
इस क्षणभंगुर बादल
को नहीं, लक्ष्य तो बस
उन पर्वत क़ी गर्वीली
चोटियों को ही,
बनाना चाहिए ...........