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Main aur Meri Kavitayen
रविवार, 27 जुलाई 2014
टमाटर में वही ....
बैंगन में वही
टमाटर में वही
सृष्टि के कण-कण में वही
कहते साधु संत महान
सहन नहीं कर पाते
लेकिन
आदमी में भगवान … !
शुक्रवार, 11 जुलाई 2014
लोग कहाँ पचा पाते है …
अभिव्यक्ति की आजादी
हर किसी को है
लेकिन चंद संबुद्ध
रहस्यदर्शी ही
सही मायने में उसका
उपयोग
कर पाते है
जस
का तस
नग्न सत्य
कह पाते है
जब हम और आप
कहते है
तब
हजारों उंगलियां
उठती है
हमारी ओर विरोध स्वरूप
लोग कहाँ पचा पाते है
उस नग्न सत्य को .... !!
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