सुमन
सुबह-सुबह
काँटों में खिला
साँझ मुरझा
गया !
जाते - जाते
जीवन कहानी
दोहरा गया !
हर बीज में
छुपी हुई है
फूल होने की
अभिलाषा !
हर फूल में
बीज होने की,
देखना कल
फिर- फिर
खिलेगा !
चाहे किसीका
मित बिछुड़े
चाहे किसीका
प्यार लूटे
नए-नए अरमान लिए
मन सपना
फिर - फिर
बूनेगा !