दिन ब दिन
सूखती जा रही है
जीवन सरिता
छुटते जा रहे है
कुल-किनारे
समय था तब
समझ न थी
अब समझ है
लग रहा है
समय कम है
न बीते एक
लम्हा भी
तेरी याद बिन
रिक्त न बीते
हे ईश्वर ,
ऐसे ही बीते
तेरे ही गीत
गुनगुनाते
हर पल
हर लम्हा …