खट्टे-मीठे इन शब्दों में,
अर्थ मधुर भर लायी हूँ
परख-परख कर इनका
मूल्य लगाओ !
शब्द बेच रहीं हूँ आओ !
अन्तस्तल है सरिता-सागर
भरा भावना का इसमें जल
गीत,कविता है मुक्ता-दल
इसे लायी हूँ चुन-चुनकर
जाँच परख कर तोलो !
क्या पता कल आऊं न आऊं मै
लेना न लेना तुमपर है निर्भर
रूपये पैसे की बात ही, छोड़ो
केवल स्नेह के बदले मोल लेलो
निज ह्रदय में सजाओ आओं !
भाव बेच रहीं हूँ आओं !
अर्थ मधुर भर लायी हूँ
परख-परख कर इनका
मूल्य लगाओ !
शब्द बेच रहीं हूँ आओ !
अन्तस्तल है सरिता-सागर
भरा भावना का इसमें जल
गीत,कविता है मुक्ता-दल
इसे लायी हूँ चुन-चुनकर
जाँच परख कर तोलो !
क्या पता कल आऊं न आऊं मै
लेना न लेना तुमपर है निर्भर
रूपये पैसे की बात ही, छोड़ो
केवल स्नेह के बदले मोल लेलो
निज ह्रदय में सजाओ आओं !
भाव बेच रहीं हूँ आओं !