शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2007

आई भोर

पेड पौधे जागें
पंछियों के मीठे
गीत जागें
खिली कलियाँ
फूल महके,
कलि कुसुमों पर
भौंरे इतराये
नए स्वप्न
नयी आशा,
आलस त्याग कर
जागी उषा,
चहु ओर मधुर शोर,
अब तो जागो मन
श्वेत परिधान
पहन कर
स्वागत करने,
बडे सवेरे
आई भोर !

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