शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

नेह निमंत्रण ...........


सच में मैंने,
कभी न चाहा था!
तुमको अपने 
ह्रदय का हाल 
सुनाऊं !
मेरे सुख-दुःख में,
तुमको अपना 
साझीदार 
बनाऊं !
उन भोले-भाले
नयनोंमे, 
दर्द का सावन 
भर दूँ !
वह तो तुम्हारे 
नेह निमंत्रण ने,
अनायास मेरे 
दिल का दर्द 
पिघल कर 
शब्दों में,
बह आया है !

20 टिप्‍पणियां:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत बढ़िया लिखा आपने.

सादर

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

सुख दुख हमारे साथी हैं, इन्हें साझ न करें :)

ZEAL ने कहा…

वह तो तुम्हारे
नेह निमंत्रण ने,
अनायास मेरे
दिल का दर्द
पिघल कर
शब्दों में,
बह आया है ...

Sometimes we get so emotional by the touching and kind gestures of our friends.

.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

मैंने चाहा तुम्हें हमराज़ बनाऊं
तुमसे ढेर सारी बातें करूँ
कभी कोई ओस आँखों से टपके
तो मैं गुलाब बन जाऊँ
..... यह नेह निमंत्रण मेरे अन्दर भी पिघलने लगा है

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

वह तो तुम्हारे
नेह निमंत्रण ने,
अनायास मेरे
दिल का दर्द
पिघल कर
शब्दों में,
बह आया है ...

बहुत सुंदर ...होता है ऐसा भी....

Kunwar Kusumesh ने कहा…

बहुत सुंदर/ बढ़िया लिखा आपने.

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

इस नेह निमंत्रण की बधाई आपको .....

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

Bahut khoob.
-------------
क्या ब्लॉगिंग को अभी भी प्रोत्साहन की आवश्यकता है?

Asha Joglekar ने कहा…

वह तो तुम्हारे
नेह निमंत्रण से,
अनायास मेरे
दिल का दर्द
पिघल कर
शब्दों में,
बह आया है ...
ऐसे ही होता है दिल का दर्द जो पत्थर होत जाता है पर दो स्नेह के बोल पाकर बहने लगता है ।

Amrita Tanmay ने कहा…

Bahar aana achchha hi hai....sundar abhivykti

Sunil Kumar ने कहा…

वह तो तुम्हारे
नेह निमंत्रण ने,
अनायास मेरे
दिल का दर्द
पिघल कर
शब्दों में,
बह आया है ...
बहुत बढ़िया.......

ज्योति सिंह ने कहा…

ise hi apnapan kahte hai ,sundar rachna .

सदा ने कहा…

वाह ...बहुत खूब ..।

Satish Saxena ने कहा…

अगर किसी पर भरोसा हो तो कष्ट बांटने में परस्पर विश्वास और बढ़ता है !
इसमें पछतावा क्या ...??

संजय भास्‍कर ने कहा…

दिल का दर्द
पिघल कर
शब्दों में,
बह आया है ...

बहुत सुंदर ...होता है ऐसा भी....

संजय भास्‍कर ने कहा…

कई दिनों व्यस्त होने के कारण  ब्लॉग पर नहीं आ सका
.....माफी चाहता हूँ..

Vijuy Ronjan ने कहा…

bahut accha Suman ji...neh ka bandhan dravibhoot ho jaata hai....aur aankhen ghanibhoot peera ki badli si baras jaati hain...

Hemant Kumar Dubey ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति |

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

khoobsoorat
sahityasurbhi.blogspot.com

निशांत ने कहा…

acchi rachna...