शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011

मेरा घर ......... (बालकविता)



आइये कभी,
ये है हमारा छोटा, प्यारा घर 
"स्वीट होम " लिखा है दरवाजे 
पर !
इधर फाइलों में उलझे है पापा 
कोर्ट - कचहरी का उनका पेशा,
बिज़ी रहते है हमेशा !
उधर, किचन में हलवा बना 
रही है मम्मी 
प्यार में उसके नहीं है कोई 
कमी !
उस स्टडी रूम में भैय्या है पढता 
केरियर की उसको खाती 
चिंता !
कभी - कभार ही मुझसे है मिल 
पाता !
दूर कोने में मै, अकेली उदास 
तभी कविता मेरे आती है पास 
मन की सारी बात वह जान 
जाती है 
चुपके - से कान में, मेरे कुछ 
कह जाती है !

14 टिप्‍पणियां:

Kunwar Kusumesh ने कहा…

घर / घर के सदस्यों से तआर्रुफ़ और प्यारी-सी बाल कविता सभी कुछ बहुत बढ़िया लगा.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

kavita aati hai n , jo ungli thaam hum tak le aati hai...

Sunil Kumar ने कहा…

कविता आपकी अच्छी सहेली सिद्ध हो रही है सुन्दर बाल कविता .....

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बड़ी प्यारी बाल कविता है सुमनजी.....

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

sundr kvita suman ji bahut bahut bdhai

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

sundr kvita suman ji bahut bahut bdhai

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

मजेदार ...प्यारी कविता

Suman ने कहा…

अरे नन्हे दोस्त आप भी आ गए!
बहुत सारा स्नेह आपको, दरअसल ये कविता
आप जैसे छोटे बच्चोंके लिए ही, लिखी है मैंने!
बड़ोंके कामकाज में अक्सर उनकी उपेक्षा होती हुई
मैंने देखी है !

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

तोड़ने की साजिशें हैं
हर तरफ़,
है बहुत अचरज
कि फिर भी
घर बसे हैं,
घर बचे हैं!
[ताकी सनद रहे- ऋषभ देव शर्मा]

ZEAL ने कहा…

.

Suman ji ,

very innocent and sweet creation .

.

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

बहुत सुन्दर प्यारी सी कविता के लिए बधाई !

Vijuy Ronjan ने कहा…

धन्यवाद सुमन जी आपकी सराहना के लिए...आपकी कविता हकीकत के बहुत करीब ढली होती है...सहज और भावपूर्ण...

Apanatva ने कहा…

badee sunder bal bhavo kee abhivykti .

Asha Joglekar ने कहा…

बहुत प्यारी कविता जिसमें पूरे परिवार का परिचय हो गया ।