सुमन
सुबह-सुबह
काँटों में खिला
साँझ मुरझा
गया !
जाते - जाते
जीवन कहानी
दोहरा गया !
हर बीज में
छुपी हुई है
फूल होने की
अभिलाषा !
हर फूल में
बीज होने की,
देखना कल
फिर- फिर
खिलेगा !
चाहे किसीका
मित बिछुड़े
चाहे किसीका
प्यार लूटे
नए-नए अरमान लिए
मन सपना
फिर - फिर
बूनेगा !
8 टिप्पणियां:
बहुत अच्छी लगी यह कविता.
सादर
चाहे किसीका
मित बिछुड़े
चाहे किसीका
प्यार लूटे
नए-नए अरमान लिए
मन सपना
फिर - फिर
बूनेगा !
यही तो जीवन है ..हमेशा आशा रहनी चाहिए ..कुछ सार्थक होने की ....आपका आभार
सुमन
सुबह-सुबह
काँटों में खिला
साँझ मुरझा
गया !
जाते - जाते
जीवन कहानी
यही तो जीवन है सुन्दर भाव, बहुत सुन्दर , बधाई तो कम है ....
यही तो जीवन-मृत्यु-जीवन का फ़लसफ़ा है :)
हर बीज में
छुपी हुई है
फूल होने की
अभिलाषा !
हर फूल में
बीज होने की,
देखना कल
फिर- फिर
खिलेगा !
जीवन की अभिलाषा को दर्शाती गहन अभिव्यक्ति..... बहुत सुंदर
सुमन
सुबह-सुबह
काँटों में खिला
साँझ मुरझा
गया !
जाते - जाते
जीवन कहानी
दोहरा गया !
bahut gahree baat !
ye hee jeevanchakr hai......
sarthak lekhan.....
man sab janta hai fir bhee jindagee ke tano bano me bandh kar rah jata hai...
काव्य में
जीवन - दर्शन है ...
अच्छी रचना .
bahut sundar abhiyakti Suman ji.
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