घिर-घिर कर
आ गए बादल
नील गगन में
काले-काले
छा गए बादल !
सर्द हुए हवा के झोंके
कडाकड़ नभ में
बिजली चमके
तप्त धरा की
प्यास बुझाकर
नदियों में जल भरने
आ गए बादल
छा गए बादल !
वन उपवन में अब
होगी हरियाली
शुक,पीकी मैनायें
नाच उठेंगी
खेत-खलिहानों में
होगी खुशहाली
गाँव-गाँव शहर
अमृत जल बरसाने
आ गए बादल
छा गये बादल !
हरष-हरष कर वर्षा
कुछ ऐसी बरसी
चातक मन तृप्त हुआ
बूंद स्वाति की
मोती बनी
मन के आंगन में
छमाछम छम-छम
बूंदों के नुपूर
खनका गये बादल
बरस गये बादल !
आ गए बादल
नील गगन में
काले-काले
छा गए बादल !
सर्द हुए हवा के झोंके
कडाकड़ नभ में
बिजली चमके
तप्त धरा की
प्यास बुझाकर
नदियों में जल भरने
आ गए बादल
छा गए बादल !
वन उपवन में अब
होगी हरियाली
शुक,पीकी मैनायें
नाच उठेंगी
खेत-खलिहानों में
होगी खुशहाली
गाँव-गाँव शहर
अमृत जल बरसाने
आ गए बादल
छा गये बादल !
हरष-हरष कर वर्षा
कुछ ऐसी बरसी
चातक मन तृप्त हुआ
बूंद स्वाति की
मोती बनी
मन के आंगन में
छमाछम छम-छम
बूंदों के नुपूर
खनका गये बादल
बरस गये बादल !
11 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर ...मनोहारी चित्रण...
बरसात के मौसम का बहुत अच्छा और मनभावन चित्र खींचा है आपने.
सादर
वर्षा का सुन्दर चित्रण
बेहतरीन रचना
बदलते मौसम का सुंदर बयान :)
दो दिन से पुरजोर है, झारखण्ड में बारिश |
तूफानी अंदाज हैं , करिए जरा सिफारिस |
करिए जरा सिफारिस , बेगम को आना है -
अर्ध-रात्रि के बाद, अभी स्टेशन जाना है |
पर " रविकर" घबरात, नहीं वो इस बारिश से-
गये अगरचे लेट , डरे बेगम के रिस से ||
( आज रात 2 से 4 धनबाद R. S. पर था )
चलिए, गर्मी से राहत मिली..सुनदर चित्रण.
बहुत सुन्दर शब्द प्रयोग आनंद आ गया -
मन के आँगन में
छमा -छम छम -छम ,बूंदों के नूपूर ,
खनका गए बादल ,
लो देखो आ गए बादल ।
सुनदर कविता .
बरसात का आगमन होने वाला है ... सुन्दर रचना से स्वागत किया है अओने ...
आदरणीया सुमन जी
हरष-हरष कर वर्षा
कुछ ऐसी बरसी
चातक मन तृप्त हुआ
बूंद स्वाति की
मोती बनी
बहुत अच्छी कविता...
हम तो पहली बार आपके ब्लॉग पर आये,यह प्रस्तुति अच्छी लगी !
Wah ye kawita sun kar to badal aa hee gaye honge Suman jee. Khoop sunder.
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