गुरुवार, 16 जून 2011

छा गये बादल ......

घिर-घिर कर
आ गए बादल
नील गगन में
काले-काले
छा गए बादल !

सर्द हुए हवा के झोंके
कडाकड़ नभ में
बिजली चमके
तप्त धरा की
प्यास बुझाकर
नदियों में जल भरने
आ गए बादल
छा गए बादल !

वन उपवन में अब
होगी हरियाली
शुक,पीकी मैनायें
नाच उठेंगी
खेत-खलिहानों में
होगी खुशहाली
गाँव-गाँव शहर
अमृत जल बरसाने
आ गए बादल
छा गये बादल !

हरष-हरष कर वर्षा
कुछ ऐसी बरसी
चातक मन तृप्त हुआ
बूंद स्वाति की
मोती बनी
मन के आंगन में
छमाछम छम-छम
बूंदों के नुपूर
खनका गये बादल
बरस गये बादल !

11 टिप्‍पणियां:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर ...मनोहारी चित्रण...

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बरसात के मौसम का बहुत अच्छा और मनभावन चित्र खींचा है आपने.

सादर

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

वर्षा का सुन्दर चित्रण

Amrita Tanmay ने कहा…

बेहतरीन रचना

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

बदलते मौसम का सुंदर बयान :)

रविकर ने कहा…

दो दिन से पुरजोर है, झारखण्ड में बारिश |

तूफानी अंदाज हैं , करिए जरा सिफारिस |

करिए जरा सिफारिस , बेगम को आना है -

अर्ध-रात्रि के बाद, अभी स्टेशन जाना है |

पर " रविकर" घबरात, नहीं वो इस बारिश से-

गये अगरचे लेट , डरे बेगम के रिस से ||

( आज रात 2 से 4 धनबाद R. S. पर था )

Udan Tashtari ने कहा…

चलिए, गर्मी से राहत मिली..सुनदर चित्रण.

virendra sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर शब्द प्रयोग आनंद आ गया -
मन के आँगन में
छमा -छम छम -छम ,बूंदों के नूपूर ,
खनका गए बादल ,
लो देखो आ गए बादल ।
सुनदर कविता .

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बरसात का आगमन होने वाला है ... सुन्दर रचना से स्वागत किया है अओने ...

Pawan Kumar ने कहा…

आदरणीया सुमन जी

हरष-हरष कर वर्षा
कुछ ऐसी बरसी
चातक मन तृप्त हुआ
बूंद स्वाति की
मोती बनी

बहुत अच्छी कविता...
हम तो पहली बार आपके ब्लॉग पर आये,यह प्रस्तुति अच्छी लगी !

Asha Joglekar ने कहा…

Wah ye kawita sun kar to badal aa hee gaye honge Suman jee. Khoop sunder.