शनिवार, 6 अक्टूबर 2012

शंख-सीप...


मन नदी 
मान सरोवर 

समीप किनारे
शंख-सीप 

उपर लहरे 
निचे जल 

भीतर गहरे 
मुक्ता फल 

चुगता मोती 
राज हंस !

6 टिप्‍पणियां:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

सरस ..सरल

कुमार राधारमण ने कहा…

ये जो मुक्ताफल है,उपनिषद के ऋषियों ने इसे ही स्वर्ण-कलश कहा है।

Amrita Tanmay ने कहा…

पढने के साथ ही दृष्टि ठहर गयी.. फिर ख़याल आया कि कुछ कहना भी है . निशब्द..

Asha Joglekar ने कहा…

सही कहा मोती की पहचान राजहंस ही कर सकता है ।

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...
बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!
शुभकामनायें.
.आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.