सोमवार, 8 अक्टूबर 2012

जीवन का सच ...


मृत्यु 
जन्म के साथ ही 
जन्म लेती है 
बढती है हर पल 
प्रौढ़ होती है !
मृत्यु 
आती है कहीं भी 
कभी भी हर घडी 
हर मोड़ पर खड़ी !
मृत्यु 
आती है कभी 
रात के सन्नाटे में 
चुपचाप दबेपांव 
पंजों के बल !
मृत्यु 
आती है कभी 
दोपहर के उजाले में
ललकारती हुई  
होटों पर कुटिल
मुस्कान लिये !
मृत्यु 
जीवन का सच 
रामनाम सत्य 
इस सत्य को जब तक 
स्वीकार नहीं करेगा 
नहीं करेगा समर्पण 
जीवन की धार में 
तब तक लड़ता रहा है 
लड़ता रहेगा वंशज 
भगीरथ का काल से 
नहीं मानेगा हार .....

12 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सत्य को उद्घाटित करती पंक्तियाँ

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

मृत्यु....सच है जीवन का...
फिर स्वीकार्य क्यों नहीं..??
जीवन की लालसा इतनी अधिक???

गहन भाव..
सादर
अनु

रविकर ने कहा…

रिश्ते नाते सत्य यह, मिथ्या जगत विचार ।

वो ही शाश्वत सत्य है, वो ही विश्वाधार ।

वो ही विश्वाधार, उसी के हाथों डोरी ।

कठपुतली सा नाच, गर्व कर देह निगोरी ।

हो जाती है मगन, भूल कर अटल मृत्यु को ।

क्षिति जल पावक गगन, वायु के असल कृत्य को ।।

सदा ने कहा…

सार्थकता लिये सटीक शब्‍द रचना ...
आभार

Madan Mohan Saxena ने कहा…

जीवंत भावनाएं.सुन्दर चित्रांकन,बहुत खूब
बेह्तरीन अभिव्यक्ति

कुमार राधारमण ने कहा…

नहीं,जीवन का सच मृत्यु तो नहीं है। वह तो मृत्यु का सच है।
जीवन का सच रामनाम ज़रूर है। वह भी तब,जब पता हो कि "राम" दशरथ-पुत्र नहीं और "नाम" वह जो केवल संबोधन की सहूलियत के लिए है।

Suman ने कहा…

वाह बहुत सुन्दर व्याख्या की है
आभार ...

Asha Joglekar ने कहा…

वाह सुमन जी मृत्यु के कितने रूप दिखाये हैं पर भगीरथ का वंशज इससे लडता ही रहेगा यह भी तो सच है ।

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

मृत्यु
जन्म के साथ ही
जन्म लेती है
बढती है हर पल
प्रौढ़ होती है !

बिलकुल सही ....!!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

जन्म मृत्यु .... साथ साथ चलते हैं फिर भी - न दुःख स्वीकार्य है,न मृत्यु

Madan Mohan Saxena ने कहा…

शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन

Kailash Sharma ने कहा…

मृत्यु
जीवन का सच
रामनाम सत्य
इस सत्य को जब तक
स्वीकार नहीं करेगा
नहीं करेगा समर्पण
जीवन की धार में

...शास्वत सत्य को दर्शाती बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति..