इन दिनों
हमारे देश का
सारा चिंतन
प्याज से
होता हुआ
रुपये और चरित्र
पर आकर
अटक गया है
क्यों न हो
रुपये और चरित्र में
इन दिनों
भारी प्रतियोगिता
जो चल रही है
कि, कौन कितना
अधिक गिरता
है !
5 टिप्पणियां:
प्याज चड़ता है रुपया गिरता है ...
जाने कौन किसके सहारे सत्ता की कमान थामना चाहता है ...
लोगों का क्या है रस्म निभाकर निकल लिये ..
ऐसी प्रतियोगिता देख सुन कर ही रूह कांप जाती है, सटीक चिंतन.
रामराम.
बेहतरीन...
:-)
प्याज चढे रुपया गिरे और चरित्र तो गर्त में।
बहुत सुंदर प्रस्तुति।
एक टिप्पणी भेजें