गुरुवार, 5 मई 2011

श्रद्धांजलि!!

कल
एक प्यारा मित्र
महाप्रयाण पर
चला गया!
और दिल में
छोड़ गया
कभी न भरने
वाली रिक्तता !
अंतिम विदाई स्वरुप
फूल, पुष्प मालाएं
अर्पित की सबने
मौन दिल रोया मेरा
मैंने अपने अश्रु

छुपाये !
शमशान में.....
धू-धूकर जलती
चिता ने कहा जैसे
नज़र भर कर देखो
और समझो वक्त का
इशारा क्या कहता है
जो कल आया था
आज जा रहा है
व्यर्थ गुरूर न कर
अपनी उपलब्धियों पर,
अब भी वक्त है
संभलने को !

11 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

KAASH suman ji , is satya ke nikat koi seekh le , yahi sachchi shraddhanjli hai

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

कहाँ समझते हैं हम.....

Sunil Kumar ने कहा…

एक सारगर्भित रचना जीवन की सच्चाई को बताती अच्छी लगी , बधाई

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

इस रिक्तता को समय ही पाट सकता है॥

ज्योति सिंह ने कहा…

व्यर्थ गुरूर न कर
अपनी उपलब्धियों पर,
अब भी वक्त है
संभलने को !
aesi seekh sabhi ke liye jaroori hai ,tan ke rishte toot bhi jaaye toote na man ke bandhan ,jisne diya hamko apnapan usi ka hai ye jeevan .

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

suman ji
jivan ki sachhai se paripurn hai aapki yah post jo aapne shradhanjali ke rup me apnedost ko samrpit kiya hai.
धू-धूकर जलती
चिता ने कहा जैसे
नज़र भर कर देखो
और समझो वक्त का
इशारा क्या कहता है
जो कल आया था
आज जा रहा है
व्यर्थ गुरूर न कर
अपनी उपलब्धियों पर,
अब भी वक्त है
संभलने को
bahut hi sateek avam sartak bhav
bahut bahut
badhai
poonam

.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सत्य को जानते हुए भी कोई समझना नहीं चाहता ...अच्छी प्रस्तुति

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

मेरा भी श्रद्धा सुमन वहाँ तक पहुंचे जहाँ से कोई लौटकर वापस नहीं आता |इंसान काश घटनाओं से सबक लेता |

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

सुमन जी ,
अपनी क्षणिकायें एक बार फिर जी मेल में टाईप कर भेजें ...
फाँट मेल न खाने की वजह से उन्हें दिखाई नहीं दे रहीं .....
परिचय भी .....

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" ने कहा…

आज जा रहा है
व्यर्थ गुरूर न कर
अपनी उपलब्धियों पर,
अब भी वक्त है
संभलने को !

satya.....garwa hi patan ki aur le jaata hai....isne to rawan ka bhi saath nahi diya tha...

संजय भास्‍कर ने कहा…

आदरणीय सुमन जी
नमस्कार !
.....सच्चाई को बताती अच्छी रचना