कल
एक प्यारा मित्र
महाप्रयाण पर
चला गया!
और दिल में
छोड़ गया
कभी न भरने
वाली रिक्तता !
अंतिम विदाई स्वरुप
फूल, पुष्प मालाएं
अर्पित की सबने
मौन दिल रोया मेरा
मैंने अपने अश्रु
छुपाये !
शमशान में.....
धू-धूकर जलती
चिता ने कहा जैसे
नज़र भर कर देखो
और समझो वक्त का
इशारा क्या कहता है
जो कल आया था
आज जा रहा है
व्यर्थ गुरूर न कर
अपनी उपलब्धियों पर,
अब भी वक्त है
संभलने को !
एक प्यारा मित्र
महाप्रयाण पर
चला गया!
और दिल में
छोड़ गया
कभी न भरने
वाली रिक्तता !
अंतिम विदाई स्वरुप
फूल, पुष्प मालाएं
अर्पित की सबने
मौन दिल रोया मेरा
मैंने अपने अश्रु
छुपाये !
शमशान में.....
धू-धूकर जलती
चिता ने कहा जैसे
नज़र भर कर देखो
और समझो वक्त का
इशारा क्या कहता है
जो कल आया था
आज जा रहा है
व्यर्थ गुरूर न कर
अपनी उपलब्धियों पर,
अब भी वक्त है
संभलने को !
11 टिप्पणियां:
KAASH suman ji , is satya ke nikat koi seekh le , yahi sachchi shraddhanjli hai
कहाँ समझते हैं हम.....
एक सारगर्भित रचना जीवन की सच्चाई को बताती अच्छी लगी , बधाई
इस रिक्तता को समय ही पाट सकता है॥
व्यर्थ गुरूर न कर
अपनी उपलब्धियों पर,
अब भी वक्त है
संभलने को !
aesi seekh sabhi ke liye jaroori hai ,tan ke rishte toot bhi jaaye toote na man ke bandhan ,jisne diya hamko apnapan usi ka hai ye jeevan .
suman ji
jivan ki sachhai se paripurn hai aapki yah post jo aapne shradhanjali ke rup me apnedost ko samrpit kiya hai.
धू-धूकर जलती
चिता ने कहा जैसे
नज़र भर कर देखो
और समझो वक्त का
इशारा क्या कहता है
जो कल आया था
आज जा रहा है
व्यर्थ गुरूर न कर
अपनी उपलब्धियों पर,
अब भी वक्त है
संभलने को
bahut hi sateek avam sartak bhav
bahut bahut
badhai
poonam
.
सत्य को जानते हुए भी कोई समझना नहीं चाहता ...अच्छी प्रस्तुति
मेरा भी श्रद्धा सुमन वहाँ तक पहुंचे जहाँ से कोई लौटकर वापस नहीं आता |इंसान काश घटनाओं से सबक लेता |
सुमन जी ,
अपनी क्षणिकायें एक बार फिर जी मेल में टाईप कर भेजें ...
फाँट मेल न खाने की वजह से उन्हें दिखाई नहीं दे रहीं .....
परिचय भी .....
आज जा रहा है
व्यर्थ गुरूर न कर
अपनी उपलब्धियों पर,
अब भी वक्त है
संभलने को !
satya.....garwa hi patan ki aur le jaata hai....isne to rawan ka bhi saath nahi diya tha...
आदरणीय सुमन जी
नमस्कार !
.....सच्चाई को बताती अच्छी रचना
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