गरमी के दिन
मई का महिना
आग उगलता सूरज
पिघलती सड़क
भागते दौड़ते लोग
पसिनेसे तरबतर,
चारों ओर मोटर
गाड़ियों का शोर
सुबह से शाम
निरंतर !
मंजीलों पर मंजील
गगनचुम्बी इमारते
छोटे-छोटे घर
छोटे-छोटे परिवार !
बंद सब खिड़कियाँ
झांकती नहीं चांदनी
छत ना आँगन !
कूलर पंखे की घर्र-घर्र
रातभर,
नींद में डालते खलल
मच्छर,
घुटनभरी जिन्दगी
मुश्किल है जीना
मई का महिना !
13 टिप्पणियां:
आदरणीय सुमन जी
नमस्कार !
.....सच्चाई को बताती ..उत्तम प्रस्तुति
मई का महीना मौसम के हिसाब से जरुर कुछ गर्म रहता पर सुकून का होता है
मुश्किल है जीना
मई का महिना !
बहुत बढ़िया ...मौसम के अनुकूल रचना
oh ...garmi hi garmi...
गर्मी का सुंदर चित्रण- बधाई सुमन जी:)
yatharth varnanaapke shahar ka . :)
Janha hum rahte hai barsat hai thanda mousam hai...
yatharth varnanaapke shahar ka . :)
Janha hum rahte hai barsat hai thanda mousam hai...
yatharth varnanaapke shahar ka . :)
Janha hum rahte hai barsat hai thanda mousam hai...
yatharth varnanaapke shahar ka . :)
Janha hum rahte hai barsat hai thanda mousam hai...
सुमन जी बहुत सुंदर कविता बधाई |
सुमन जी बहुत सुंदर कविता बधाई |
सुमन जी बहुत सुंदर कविता बधाई |
सुमन जी बहुत सुंदर कविता बधाई |
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