शनिवार, 8 अक्टूबर 2011

सफ़र का अंत कब आया !

एक अदद
उधडी-सी जिंदगी
सीते-सीते
भले ही दिन का
अंत आया पर
मुश्किलों का
अंत कब आया !
उबड़-खाबड़
जीवन की इन
पथरीली राहों पर
कब तक है चलना
थके कदम कहते है
रुक जाना
समय कहता है
चलते रहना
भले ही सांसो का
अंत आया पर
सफ़र का अंत
कब आया !


20 टिप्‍पणियां:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

रुक जाना नहीं तू कहीं हार के.... :)

Sunil Kumar ने कहा…

चलने का नाम ही ज़िंदगी है ...

कुमार राधारमण ने कहा…

यह चक्र तब तक चलता रहेगा,जब तक इस बात का संतोष न हो कि जीवन को उसकी पूर्णता में जिया गया।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

Bahut hi Sunder ...Sakaratmak Bhav...

रश्मि प्रभा... ने कहा…

एक अदद
उधडी-सी जिंदगी
सीते-सीते
भले ही दिन का
अंत आया पर
मुश्किलों का
अंत कब आया !... सोचती रही , सीती रही

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

आपकी पोस्ट की हलचल आज (09/10/2011को) यहाँ भी है

अजय कुमार ने कहा…

प्रेरक रचना ।

Kunwar Kusumesh ने कहा…

मुश्किलों के सफ़र का अंत नहीं है.

virendra sharma ने कहा…

जीवन दर्शन दाई इस रचना के लिए आभार .प्रेरक है यह रचना .कर्म की और लेजाती है हर पल को .

विभूति" ने कहा…

प्रेरित करती रचना.....

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

"ऊंचे नीचे राते और मंजिल तेरी दूर....

सार्थक/प्रेरक रचना...
सादर बधाई....

सागर ने कहा…

bhaut hi prabhaavshalo abhivaykti...

Amrita Tanmay ने कहा…

बेहतरीन भावाभिव्‍यक्ति..

Kailash Sharma ने कहा…

चलते रहना
भले ही सांसो का
अंत आया पर
सफ़र का अंत
कब आया !

....गहन जीवन दर्शन का सटीक चित्रण...सच है साँसों का अंत प्रारंभ है एक अगले सफर का...

nagarjuna ने कहा…

Zindagi thamti kab hai...bas chalte jana hai..

vidya ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना...और अच्छा ब्लॉग.बधाई.

Asha Joglekar ने कहा…

सुंदर जीवन सार से भरी यह कविता
यही देगी ऊर्जा चलते रहने की ।

शकुन्‍तला शर्मा ने कहा…

प्रभावशाली प्रस्तुति

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

साँसों के अंत पर ही सफर खत्म होता है ... अच्छी प्रस्तुति

SANDEEP PANWAR ने कहा…

अच्छे शब्द