नववर्ष की पूर्व संध्या पर
दो हजार ग्यारह की
कुछ इस प्रकार रही
प्रमुख खबरे !
जनलोकपाल का लेकर अभियान
अनशन का महत्व समझाकर
देश विदेशों में छाये रहे
अन्ना हजारे !
धरती पर कुनबा बढ़कर
पार कर गया सात अरब
चीन के बाद भारत का
दूसरा नंबर !
१२१ करोड़ जनसंख्या वाले
देश में बहुत कुछ बेचा जा
सकता है, मतलब उनका
आर्थिक विकास !
जीवन भर सुख साधन जोड़
मिटी नहीं सत्ता की भूख
किसी ने खाए जुते और
किसी ने खाए थप्पड़ !
12 टिप्पणियां:
बहुत सटीक व्यंग.
saarthak kataksh
साल भर का लेखा जोखा कुछ पंक्तियों में समेट दिया ..अच्छा व्यंग
जमा नहीं.थोड़े और बेहतर की अपेक्षा थी.
करार व्यंग ... सही लेखा जोखा है ...
वर्ष भर की खबरें समेट ली सुमन जी आपने तो:)
बेहतरीन!
सादर
साल भर की बातें समेट कर करारा व्यंग्य करने से नहीं चूके ,आप
सुन्दर कटाक्ष.... सार्थक रचना...
सादर बधाई...
आपको और परिवारजनों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
सुन्दर,सार्थक एवं सटीक व्यंग्य।
वर्ष का लेखा जोखा ।
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