शनिवार, 19 अक्टूबर 2013

तुम्हारा पता …


तुम्हारा पता 
हर कोई 
बता देता है 
पर, 
कोई एक 
बन जाता है 
मील का पत्थर 
इन्ही निशानों का 
लेकर सहारा 
चल तो देती हूँ 
एक कदम 
तुम्हारी  ओर  
इसी उम्मीद में कि 
तुम  भी चल 
दोगे प्रेम से 
दो कदम 
मेरी ओर     … !!


6 टिप्‍पणियां:

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

एक कदम तुम चलो एक कदम मैं चालू ...
नई पोस्ट महिषासुर बध (भाग तीन)

Unknown ने कहा…

बेहद उम्दा प्रस्तुति |

मेरी नई रचना:- "झारखण्ड की सैर"

Ramakant Singh ने कहा…

बेहतरीन

Satish Saxena ने कहा…

हम तो जबसे उसी दिशा में देख रहे हैं
कभी तो दर्शन होंगे, सुरभि हमारी के !
आशाएं तो जुड़ी रहें , इन साँसों से
न जाने, कब याद हमारी आ जाए !
शुभकामनायें !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

उम्मीद बनी रहे .... बहुत सुंदर

दिगम्बर नासवा ने कहा…

उम्मीद हो तो पांव खींच लेते हैं खुद को उस तरफ जहां से किरण नज़र आती है उम्मीद की ...