आज कुछ नहीं कहूँगा.. क्योंकि कविता की अंतिम पंक्ति ने नि:शब्द कर दिया है!! थोड़े में सब कुछ कह दिया है.
वही तो नहीं है…
आदमी , इंसान तो बन ले पहले …. मंगलकामनाएं इस टमाटर को ! भाव पहले ही बढे हुए हैं !!
अंतिम लाइन ... गहरा सत्य, गहरा कटाक्ष ... बहुत कुछ कहता हुआ ...
टमाटर में तो सबको भगवान ही दिखाई दे रहे हैं।पर सचमुच आदमी कब आदमी में ही भगवान को देखना सीखेगा।
उम्दा और बेहतरीन... आप को स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत बधाई...नयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
पुनश्च: .... नहीं !!आदमी इंसानियत खो रहा है !
@ आदमी इंसानियत खो रहा है !yah sahi hai
गहरा कटाक्ष ... बहुत कुछ कहता हुआ
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9 टिप्पणियां:
आज कुछ नहीं कहूँगा.. क्योंकि कविता की अंतिम पंक्ति ने नि:शब्द कर दिया है!! थोड़े में सब कुछ कह दिया है.
वही तो नहीं है…
आदमी , इंसान तो बन ले पहले ….
मंगलकामनाएं इस टमाटर को ! भाव पहले ही बढे हुए हैं !!
अंतिम लाइन ... गहरा सत्य, गहरा कटाक्ष ... बहुत कुछ कहता हुआ ...
टमाटर में तो सबको भगवान ही दिखाई दे रहे हैं।
पर सचमुच आदमी कब आदमी में ही भगवान को देखना सीखेगा।
उम्दा और बेहतरीन... आप को स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत बधाई...
नयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
पुनश्च:
.... नहीं !!
आदमी इंसानियत खो रहा है !
@ आदमी इंसानियत खो रहा है !
yah sahi hai
गहरा कटाक्ष ... बहुत कुछ कहता हुआ
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